आज के दिन में हिंदी सिनेमा और साहित्य की दुनिया में अपनी बेबाक राय के लिए पहचाने जाने वाले Javed Akhtar एक बार फिर सुर्खियों में हैं। जो इस बार वजह है उनका वह बयान, जिसमें उन्होंने स्टैंड-अप कॉमेडी में बढ़ती गाली-गलौज और अश्लील भाषा पर सवाल खड़े किए हैं। और Javed Akhtar का मानना है कि कॉमेडी का स्तर धीरे-धीरे गिरता जा रहा है और इसकी एक बड़ी वजह भाषा का बेतहाशा इस्तेमाल है।
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उनका यह बयान सामने आते ही सोशल मीडिया से लेकर एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री तक बहस शुरू हो गई। और कई लोग उनके विचारों से सहमत नजर आए, तो कुछ ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी से जोड़कर देखा।
Javed Akhtar क्यों मानते हैं यह एक गंभीर मुद्दा क्या है ?
Javed Akhtar का कहना यह है कि कॉमेडी हमेशा से समाज को आईना दिखाने का काम करती रही है। और पहले के दौर में कलाकार बिना किसी आपत्तिजनक शब्द के भी लोगों को हंसा देते थे और साथ ही सोचने पर मजबूर कर देते थे। और उनके अनुसार, आज के समय में कई कॉमेडियन आसान रास्ता चुन रहे हैं,
और जहां गाली को पंचलाइन बना दिया गया है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भाषा सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं होती, बल्कि वह समाज की मानसिकता को भी प्रभावित करती है। और जब मंच से बार-बार अपशब्द बोले जाते हैं, तो वह सामान्य व्यवहार का हिस्सा बनने लगते हैं, जो आने वाली पीढ़ी पर असर डाल सकता है। कैसे जाने |
Zakir Khan ने क्यों माना Javed Akhtar की बात को अहम ?
Javed Akhtar की टिप्पणी पर जब मशहूर कॉमेडियन Zakir Khan से सवाल किया गया, तो उनका रिएक्शन सबसे अलग नजर आया। और Zakir ने साफ कहा कि Javed Akhtar जैसे लेखक की राय को नजरअंदाज करना ठीक नहीं होगा।
बल्कि उनके मुताबिक,जब इतने अनुभवी और सम्मानित लेखक कोई बात कहते हैं, तो उसे गंभीरता से सुना जाना चाहिए। और उनका बात को अच्छे से अपने दिमागमे रखना चाहिए की जब आप जब भी शो पर भी जाये तो यह बात आपको याद रहे |
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Zakir Khan ने यह भी माना कि आलोचना कलाकार को बेहतर बनाती है। और उन्होंने यह भी कहा कि हर दौर की कॉमेडी अलग होती है, लेकिन आत्ममंथन हर कलाकार के लिए जरूरी है। उनका यह संतुलित जवाब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और लोगों ने इसे परिपक सोच की मिसाल बताया। लेकिन यह बात सही है |
क्या Samay Raina विवाद से जुड़ता है यह मामला |
आज इस पूरी बहस को हालिया कॉमेडी विवादों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। और कुछ समय से स्टैंड-अप कॉमेडी में भाषा को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। कई दर्शकों का मानना है कि वायरल होने की होड़ में कंटेंट की गुणवत्ता पीछे छूटती जा रही है। और आगे न जाने की कैसे रहेगा |
ऐसे माहौल में Javed Akhtar का बयान और Zakir Khan की प्रतिक्रिया इस बहस को और गहरा कर देती है। यह अब सिर्फ एक बयान नहीं रह गया है, बल्कि पूरी कॉमेडी इंडस्ट्री के ट्रेंड पर सवाल बन चुका है।आगे और भी दिन जाने वाला है |
सोशल मीडिया पर दो धड़ों में बंटी जनता कैसे |
इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर लोगों की राय साफ तौर पर बंटी हुई दिख रही है। और एक वर्ग Javed Akhtar का समर्थन करते हुए कह रहा है कि कॉमेडी में भाषा की गरिमा बनी रहनी चाहिए। और उनका मानना है कि असली टैलेंट बिना गाली के भी लोगों को हंसा सकता है।
लेकिन वहीं दूसरा वर्ग यह तर्क दे रहा है कि कॉमेडी भी अभिव्यक्ति की एक आज़ाद शक्ल है और कलाकार को अपनी बात कहने की पूरी छूट होनी चाहिए। हालांकि, इन सबके बीच Zakir Khan का संतुलित रुख ज्यादातर लोगों को पसंद आया है।
कॉमेडी, आज़ादी और जिम्मेदारी के बीच संतुलन क्या है |
यह पूरा विवाद इस सवाल को जन्म देता है कि क्या कला में पूरी आज़ादी होनी चाहिए या फिर कुछ सीमाएं भी जरूरी हैं। Javed Akhtar का मानना है कि आज़ादी के साथ जिम्मेदारी भी आती है, जबकि कई युवा कलाकार इसे नए दौर की सोच बता रहे हैं।
Zakir Khan का जवाब इस बहस के बीच एक पुल की तरह नजर आता है, जो दोनों पक्षों को सुनने और समझने की बात करता है।
निष्कर्ष इसका कैसे है |
Javed Akhtar और Zakir Khan से जुड़ा यह मामला सिर्फ एक बयान या प्रतिक्रिया नहीं है। यह बदलते दौर की कॉमेडी, भाषा के स्तर और कलाकार की सामाजिक जिम्मेदारी पर एक बड़ी चर्चा बन चुका है।
और यही वजह है कि यह मुद्दा Google Discover जैसे प्लेटफॉर्म पर लोगों का ध्यान खींच रहा है और आगे भी चर्चा में बना रह सकता है।
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